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हिंदी दिवस की कविताएं

कविता--सूरज की आग

तपिश में तपता वह परमज्ञानी
खुद को तपाकर देता प्रकाश
उजाले से भरकर फिर से जी जाती
हमारी धरती लेकर नवसाँस।

अगर जो सूरज नहीं होता तो
आज हमारी धरती ऐसी नहीं होती
न हम होते न हमारी सोच होती
और न ही यह संसार होता।

नमन उस तपस्वी को
जिसके कारण यह दुनिया है
सात रंगों के घोड़े में चढ़कर
देता नवप्रकाश है।

हर भोर की किरणों के साथ
होती शुरुआत नए दिन की
उम्मीद, इच्छाओं और आशाओं के
सूर्योदय नए प्रभात की।

**
सीमा..✍️💕
©®
#लेखनी
हिंदी दिवस प्रतियोगिता

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7 Comments

Wahhh अद्भुत अद्भुत अद्भुत

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Swati chourasia

20-Sep-2022 07:57 PM

बहुत खूब 👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

18-Sep-2022 08:48 AM

Nice

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